Monday, June 18, 2007

जुनूं की हद से

तू ऐसी चीज नहीं है कि भुलाये तुझको
जुनूं की हद से गुजर जाये तो पाये तुझको
तू मेरी हार भी है जीत भी सुलह भी है
न जाने नाम क्‍या लेकर के बुलाये तुझको
अभी तो नज्‍म मुझे तुझको वो सुनानी है
जो सोच सोच के रह रहके रुलाये तुझको

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