Friday, June 15, 2007

दुनिया

कभी तो ऐसे कि जैसे बरस हुए हों मिले
कभी अजीज दिलो जां से भी लगे दुनिया
बता ऐ जींस्‍त मुझे तेरा तआरुफ क्‍या है
न जाने क्‍या-क्‍या समझती रही तुझे दुनिया
खुली पलक में मिस्‍ले-ख्‍वाब टिमटिमाये बहुत
मुंदे है आंख इधर औ' उधर बुझे दुनिया
सुना तुझे भी मेरी फिक्र बहुत रहती है
तू मुझपे इतनी मेहरबां है किसलिए दुनिया

No comments: