सादगी आंख की किरकिरी हो गयी
छोड़िये, बात ही दूसरी हो गयी
उसकी आहट के आरोह-अवरोह में
चेतना डुबकियों से बरी हो गयी
नन्दलाला की मुरली की इक तान पर
राधा सुनते हैं कि बावरी हो गयी
मेरी कमियां भी अब मुझपे फबने लगीं
वाकई ये तो जादूगरी हो गयी
Saturday, June 16, 2007
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