Monday, June 18, 2007

जुनूं की हद से

तू ऐसी चीज नहीं है कि भुलाये तुझको
जुनूं की हद से गुजर जाये तो पाये तुझको
तू मेरी हार भी है जीत भी सुलह भी है
न जाने नाम क्‍या लेकर के बुलाये तुझको
अभी तो नज्‍म मुझे तुझको वो सुनानी है
जो सोच सोच के रह रहके रुलाये तुझको

Saturday, June 16, 2007

किरकिरी

सादगी आंख की किरकिरी हो गयी
छोड़िये, बात ही दूसरी हो गयी
उसकी आहट के आरोह-अवरोह में
चेतना डुबकियों से बरी हो गयी
नन्‍दलाला की मुरली की इक तान पर
राधा सुनते हैं कि बावरी हो गयी
मेरी कमियां भी अब मुझपे फबने लगीं
वाकई ये तो जादूगरी हो गयी

Friday, June 15, 2007

दुनिया

कभी तो ऐसे कि जैसे बरस हुए हों मिले
कभी अजीज दिलो जां से भी लगे दुनिया
बता ऐ जींस्‍त मुझे तेरा तआरुफ क्‍या है
न जाने क्‍या-क्‍या समझती रही तुझे दुनिया
खुली पलक में मिस्‍ले-ख्‍वाब टिमटिमाये बहुत
मुंदे है आंख इधर औ' उधर बुझे दुनिया
सुना तुझे भी मेरी फिक्र बहुत रहती है
तू मुझपे इतनी मेहरबां है किसलिए दुनिया

Thursday, June 14, 2007

इक ऐसी नज्‍म

वो एक बार मुझे देख मुस्‍कुराये अगर
फिकर नहीं है मेरा दिल ही डूब जायेगा अगर
भला बताओ मुझे छेड़कर करे भी क्‍या
गुजर न जायेगा मेरी शाम सिर झुकाये अगर
भटक रही है मेरी रूह किन अंधेरों में
कभी खबर तो मिले लौट कर न आये अगर
इक ऐसी नज्‍म जिसे लिखके भी सुकूं न मिले
मेरे खयाल में बेहतर है भूल पाये अगर